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Dehlvi Jawarish Meda

1000 gm

Rs. 682 Rs. 758 10% off         
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About Jawarish Meda

Jawarish Meda is very useful in various gastric problems.The meaning of meda means is stomach.There are various causes for gastric problems. It is due to prolonged illness, neurological weakness and use of excessive medicines cause gastritis and hepatitis, which leads to weakness of the stomach. Patient feels of hunger and don’t like to eat properly.

Indications of Jawarish Meda

  • Strengthens stomach
  • Helps in digestion
  • Normalizes intestinal peristaltic movements
  • Give protection to stomach, liver and intestines

Ingredients of Jawarish Meda

  • Amla biryan (Emblica officinalisFrt.)
  • Bekh karafs(Apium graveolensRt.)
  • Balchhar (Nardostachys jatamansi)
  • Badiyan (Foeniculum vulgareSds)
  • Darchini (Cinnamoum zeylanicumBrk.)
  • Dana heel khurd (Elettaria cardamomumSds.)
  • Dana heel kalan (Amomum subulatumSds.)
  • Filfil siyah (Piper nigrum linnFrt.)
  • Laung (Syzygium aromaticFrt.bud)
  • Narkachoor (Zingiber zerumbestR)
  • Nagar motha (Cyperus scariosusRt.)
  • Pipal kalan (Piper chaba linnFrt.)
  • Pudina khushk (Menth peppermintoW.plt.)
  • Post sangdana murgh (Gizzard of cock)
  •  Satar farsi
  •  Taj qalami
  •  Tejpat 
  •  Zanjabil
  •  Zira siyah
  •  Zira safed
  •  Sat- pudina
  •  Sat- ajwain
  •  Shahad
  • Qand Safed

Dosage of Jawarish Meda

Morning and evening or after meals 5g to be taken with small quantity of water.

Precautions of Jawarish Meda

  • keep away from children's reach.
  • Self medication is not recommended. 
  • Store in dry and cool place.
  • Close medicine cap tightly after every use.
  • Keep medicine in original package and container. 

Terms and Conditions

We have assumed that you have consulted a physician before purchasing this medicine and are not self medicating.

 

जवारिश मेडा के बारे में
जवारिश मेड़ा विभिन्न गैस्ट्रिक समस्याओं में बहुत उपयोगी है। मेदा का अर्थ पेट है। गैस्ट्रिक समस्याओं के विभिन्न कारण हैं। यह लंबे समय तक बीमारी, स्नायविक कमजोरी और अत्यधिक दवाओं के उपयोग के कारण गैस्ट्राइटिस और हेपेटाइटिस का कारण बनता है, जिससे पेट की कमजोरी होती है। रोगी को भूख लगती है और ठीक से खाना पसंद नहीं करता है।

जवारिश मेदा के संकेत
पेट को मजबूत करता है
पाचन में मदद करता है
आंतों के क्रमाकुंचन आंदोलनों को सामान्य करता है
पेट, लीवर और आंतों को सुरक्षा दें
जवारिश मेड़ा की सामग्री
आंवला बिरयान (Emblica officinalis Frt.)
बेख करफ्स (एपियम ग्रेवोलेंसआरटी।)
बलछार (नारदोस्तचिस जटामांसी)
बादियान (फोनीकुलम वल्गारे एसडीएस)
दार्चिनी (सिनामौम ज़ेलेनिकम ब्रैक.)
दाना हील खुर्द (Elettaria cardamomumSds.)
दाना हील कलां
फ़िलफ़िल सियाह (पाइपर नाइग्रम लिनफ्रट.)
लौंग
नरकचूर (ज़िंजिबर ज़ेरुम्बेस्टआर)
नगर मोथा (साइपरस स्कारियससआरटी।)
पीपल कलां (पाइपर चाबा लिनन)
पुदीना खुश्क (पुदीना खुश्क)
पोस्ट संगदाना मुर्ग (मुर्गा का कंठ)
 सतार फारसी
 ताज कलामी
 तेजपत
 ज़ंजाबिल
 जीरा सियाह
 जीरा सुरक्षित
 सत- पुदीना
 सत- अजवाइन
 शहद
कंद सफेद
जवारिश मेदा की खुराक
सुबह-शाम या भोजन के बाद 5 ग्राम थोड़ी मात्रा में पानी के साथ लें।

जवारिश मेदा की सावधानियां
बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
स्व दवा की सिफारिश नहीं की जाती है।
सूखी और ठंडी जगह पर स्टोर करें.
प्रत्येक उपयोग के बाद दवा का ढक्कन कसकर बंद करें।
दवा को मूल पैकेज और कंटेनर में रखें।
नियम और शर्तें
हमने यह मान लिया है कि आपने इस दवा को खरीदने से पहले एक चिकित्सक से परामर्श किया है और आप स्वयं औषधि नहीं कर रहे हैं।